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जोधपुर में कला व संस्कृति को नया आयाम देने के लिए एक मासिक हिंदी पत्रिका की शरुआत, जो युवाओं को साथ लेकर कुछ नया रचने के प्रयास में एक छोटा कदम होगा. हम सभी दोस्तों का ये छोटा-सा प्रयास, आप सब लोगों से मिलकर ही पूरा होगा. क्योंकि कला जन का माध्यम हैं ना कि किसी व्यक्ति विशेष का कोई अंश. अधिक जानकारी के लिए हमें मेल से भी संपर्क किया जा सकता है. aanakmagazine@gmail.com

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Friday 25 July 2014


भावना लालवानी

"चार अध्याय"  रवीन्द्रनाथ टैगोर का बहुत प्रसिद्द उपन्यास है , इसकी पृष्ठभूमि है ३० और ४० के दशक का बंगाल का क्रांतिकारी आतंकवाद और उस आन्दोलन से जुड़े संगठनों के भीतरी हालात और ख़ास तौर पर  क्रांतिकारी आन्दोलन में  औरतों की भूमिका, जो ३० के दशक में इस आन्दोलन की  सब से बड़ी विशेषता थी और जो  इसके पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर खुल कर नहीं दिखी थीउस पर आधारित है..

रवीन्द्रनाथ को इसी पर ऐतराज था ..औरतों का हिंसक या ध्वंसात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेना , जो उनके मुताबिक़ उनकी वात्सल्य और ममतामय प्रकृति के खिलाफ है.  और इसीलिए उन्होंने ये दिखाया है कि जब हम कुदरत के बनाए नियमों  और अपनी स्वाभाविक प्रवृति -प्रकृति के विरुद्ध  जाकर काम करते हैं तो उसका परिणाम निराशा, पराजय और पछतावे के अलावा और कुछ नहीं रहता.